
हुई बात जो भी सलीब पर..
कुदूस खुदा, मैं तेरा शुकर करता हूं, तेरी सलीब के लिए,
मैं तेरा शुक्र करता हूं उन खून की बूंदों के लिए,
जिनसे मुझे और तमाम दुनिया को...
हुई बात जो भी सलीब पर
मेरे हक में हर्फ़-ए-दुआ लगी
तेरा खून बरखा की रूत लगा - 2
तेरी सांस बाद-ए-सबा लगी
हुई बात…
1. यूं तो कलवरी के पहाड़ पर
हुई नज्ब कीतनी ही सूलियां - 2
मगर इस सलीबों के शहर में
ये सलीब तेरी जूदा लगी
हुई बात…
2. तुने किस तरीके से पी लिया
वो प्याला जो के ना टल सका
तुने किस सलीके से जान दी
के ये मौत रब की रज़ा लगी
हुई बात…
3. तू मरा तो जीने की आरजू
कई मातमों का सबब हुई
तु जीया तो सांसों की गुफ्तगू
नये मौसमों की हवा लगी
हुई बात…